निरंतर कर्म करते रहना सिखलाती ये सागर की लहरें। निरंतर कर्म करते रहना सिखलाती ये सागर की लहरें।
आज फिर से बचपन को जी लिया जाए। आज फिर से बचपन को जी लिया जाए।
मेरे चेहरे पे आते जाते रंग बदलते हैं हर मौसम के संग मेरे चेहरे पे आते जाते रंग बदलते हैं हर मौसम के संग
पत्नी ही घर के चमन की खुद गुलाब है, पति को लगती रोज ही गुलाब की फूल-सी है, पत्नी ही घर के चमन की खुद गुलाब है, पति को लगती रोज ही गुलाब की फूल-सी है,
मृत्यु संग...... मृत्यु संग......
प्यार क्या है ये मैं कभी समझ ना पाया... प्यार क्या है ये मैं कभी समझ ना पाया...